
रानीगंज में पहली बारिश से खुली नगर व्यवस्था की पोल, पी.एन. मालिया रोड और बगान की सड़कों की हालत बदतर
रानीगंज।
मानसून की पहली बारिश ने जहां गर्मी से राहत दी, वहीं रानीगंज शहर में नगर व्यवस्था की बदहाली को उजागर कर दिया। बारिश के मात्र दो दिनों में ही साफ-सफाई की अनियमितता और टूटी-फूटी सड़कों ने लोगों का जीवन दुश्वार कर दिया है। नालियों का मलवा सड़कों पर बह रहा है और जगह-जगह जलजमाव की स्थिति उत्पन्न हो गई है। यदि यही हालात बने रहे, तो शहर में महामारी फैलने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
शहर की सबसे बड़ी समस्या इस समय सड़कों की हालत है। रानीगंज के प्रमुख मार्गों में शामिल पी.एन. मालिया रोड और बगान क्षेत्र की सड़कें गड्ढों में तब्दील हो चुकी हैं। बारिश का पानी इन गड्ढों में भर जाने के कारण उनकी गहराई का अंदाजा लगाना मुश्किल हो गया है, जिससे दुर्घटनाएं लगातार हो रही हैं। पैदल चलने वालों के लिए जहां मुश्किलें हैं, वहीं दोपहिया वाहन और सबसे अधिक चलने वाले टोटो चालकों के लिए स्थिति और भी भयावह बन गई है।
प्रत्येक दिन की तरह मॉर्निंग वॉक पर निकले सामाजिक संस्था ‘शिशु भगवान’ के अध्यक्ष शरद भारतीय ने बताया कि नज़रुल मोड़ से स्टेडियम की ओर जाने वाले मोड़ पर भारी मात्रा में मलवा जमा है, जिससे चलना दूभर हो गया है। उन्होंने इसे नगर प्रशासन की घोर लापरवाही बताया।
वहीं, भाजपा ब्लॉक महासचिव रवि केसरी ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि आज नगर में कोई जिम्मेदार अधिकारी नज़र नहीं आता। शिकायत करने के लिए कोई मंच नहीं है, जिससे आम लोग खुद को बेसहारा महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “अब सब कुछ राम भरोसे चल रहा है।”
नगर निगम अध्यक्ष मुजम्मिल शहजाद ने आश्वासन दिया है कि मरम्मत कार्यों के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और जल्द ही कार्य शुरू किया जाएगा। हालांकि नागरिकों का भरोसा इस प्रकार के आश्वासनों पर अब डगमगाने लगा है क्योंकि वर्षों से यही बात दोहराई जा रही है, लेकिन सुधार देखने को नहीं मिल रहा।
हाल ही में मारवाड़ी रिलीफ सोसाइटी अस्पताल में नागरिकों ने नगर निगम के पूर्व अध्यक्ष अमरनाथ चटर्जी के समक्ष नाराजगी प्रकट की और कहा कि एक समय था जब शहर में विकास की गति थी, लेकिन अब हालात उपेक्षा की ओर बढ़ चले हैं। इस पर अमरनाथ चटर्जी ने भी चिंता जताते हुए कहा कि वे कोशिश कर रहे हैं कि शहर की मूलभूत सुविधाओं में सुधार हो और नागरिकों को तकलीफ न हो।
रानीगंज की वर्तमान स्थिति प्रशासनिक निष्क्रियता और सुस्त नगर व्यवस्था की पोल खोल रही है। अब ज़रूरत है सिर्फ वादों की नहीं, बल्कि ज़मीनी स्तर पर ठोस कार्रवाई की।