
विपदतारिणी पूजा आज श्रद्धा और आस्था के साथ रानीगंज
रानीगंज।आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में मनाई जाने वाली पारंपरिक विपदतारिणी पूजा आज श्रद्धा और आस्था के साथ रानीगंज समेत बंगाल, ओडिशा और असम के विभिन्न क्षेत्रों में संपन्न हुई। यह पूजा देवी काली के एक स्वरूप मानी जाने वाली माता विपदतारिणी को समर्पित होती है, जिन्हें संकट से तारने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से रथ यात्रा के बाद और बहुदा रथ से पूर्व मंगलवार या शनिवार को मनाया जाता है। बंगाली समाज की महिलाएं इस व्रत को बड़ी श्रद्धा और परंपरा के साथ करती हैं। व्रत से एक दिन पूर्व केवल शाकाहारी भोजन किया जाता है और पूजा वाले दिन प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं। घर की साफ-सफाई कर गंगाजल से शुद्धिकरण किया जाता है। पूजा में माँ को 13 प्रकार के फल, फूल और मिष्ठान अर्पित किए जाते हैं तथा गुड़हल के फूलों से विशेष पूजा की जाती है। महिलाएं बाएं हाथ में और पुरुष दाएं हाथ में 14 गांठों वाला लाल पवित्र धागा बांधते हैं। पूजा के दौरान मंदिरों में विपदतारिणी व्रत कथा का श्रवण भी किया जाता है, जिसे व्रती श्रद्धापूर्वक सुनते हैं। मान्यता है कि जो भी भक्त इस व्रत का विधिपूर्वक पालन करते हैं, उन्हें माँ विपदतारिणी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और वे अपने परिवार को जीवन की विविध विपत्तियों से सुरक्षित रखने में समर्थ होते हैं।