
सिदो-कान्हू बिरसा डाहर स्मरणी नामकरण को लेकर आदिवासी संगठन का विरोध
रानीगंज। स्वतंत्रता संग्राम के पहले वीर शहीदों की स्मृति में रानीगंज के बादामबागान से रानीसायर तक सड़क का नाम “सिदो-कान्हू बिरसा डाहर स्मरणी” रखा गया है। इस नामकरण समारोह के दौरान ‘इरोल डी मांझी मापाजी आतो बोउइसी’ (Ierol dhi manjhai mapaji autao baisi) नामक आदिवासी संगठन के संबंध में आपत्तिजनक बातें कहे जाने का आरोप लगाकर संगठन ने पत्रकार वार्ता की।
संगठन का आरोप है कि इस क्षेत्र में 22 से अधिक आदिवासी समुदायों का प्रतिनिधित्व करने वाला उनका संगठन वर्षों से सक्रिय है, परंतु जिस सड़क का नामकरण आदिवासी वीरों के नाम पर किया गया, उसमें न तो उन्हें आमंत्रित किया गया और न ही उनकी भागीदारी सुनिश्चित की गई। इसके विपरीत 9 जुलाई को आयोजित नामकरण कार्यक्रम के दौरान मंच से उनके संगठन का नाम लेकर अनुचित व अपमानजनक टिप्पणियाँ की गईं।
इस विषय को लेकर रविवार को संगठन ने रानीसायर क्षेत्र में स्थित सिदो-कान्हू की प्रतिमा के समक्ष पत्रकारों को संबोधित करते हुए एक आधिकारिक लोगो भी जारी किया। संगठन के सदस्य बाबलू हांसदा समेत कई लोगों ने आरोप लगाया कि “ऑल इंडिया आदिवासी को-ऑर्डिनेशन कमिटी” द्वारा आयोजित कार्यक्रम में जानबूझकर उनके संगठन को बदनाम करने का प्रयास किया गया।
हालाँकि, इन आरोपों को “ऑल इंडिया आदिवासी को-ऑर्डिनेशन कमिटी” के अध्यक्ष जनार्दन कोड़ा ने सिरे से खारिज करते हुए कहा कि सभी संगठनों को आमंत्रण भेजा गया था। फिर भी यदि इस प्रकार के आरोप लगाए जा रहे हैं, तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है और इसके पीछे की मंशा पर सवाल उठना लाज़मी है।
इस घटनाक्रम को लेकर आदिवासी समाज में असंतोष का माहौल है और संगठन ने भविष्य में ऐसे अपमानजनक व्यवहार के खिलाफ आवाज़ उठाते रहने का संकल्प भी दोहराया।