

।रानीगंज क्षेत्र के वक्तानगर में इस बार 500 वर्ष पुराने खाँ परिवार की दुर्गा पूजा ने भक्तों का खासा ध्यान खींचा। यद्यपि यह पूजा कोई सार्वजनिक या बारोवारी नहीं बल्कि पारिवारिक स्वरूप की है, फिर भी पूजा के चारों दिन यहाँ श्रद्धालुओं का अपार जनसमूह उमड़ा।
लेकिन सबसे बड़ी चर्चा का केंद्र रहा दशमी के दिन पहली बार आयोजित रावण दहन।
वक्तानगर के फुटबॉल मैदान में विशालकाय रावण पुतले के दहन को देखने हजारों की भीड़ उमड़ी। आतिशबाजी और नाट्य मंचन के बीच हुए इस प्रथम रावण दहन ने पूरे क्षेत्र में असाधारण उत्साह और रोमांच का माहौल बना दिया।
प्रतिदिन रामलीला, गंगा पूजा, गंगा आरती सहित विविध धार्मिक आयोजनों ने इस ऐतिहासिक पूजा को और भी आकर्षक बना दिया।
रानीगंज में दुर्गा पूजा का उल्लास और माँ की विदाई का मार्मिक क्षण

रानीगंज दुर्गा पूजा के प्रारंभ से ही रिमझिम बारिश का अद्भुत नज़ारा रहा। विजयदशमी के दिन भी वर्षा ने अपना रंग दिखाया, किंतु पूरे नगर में आस्था और उत्सव का उल्लास चरम पर रहा।

आर आर रोड, पी एन मालिया रोड,पी एन मालिया रोड के 16 आना दुर्गा पूजा मंडप से लेकर कालीतल्ला, , उत्तरपाली, शिशु बागान, राजबाड़ी मोड़, राजबाड़ी गांव, पंजाबी मोड़ और खर्शुली के के ओ सी क्लब तक, हर पंडाल में उमंग और श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ा। बिजली की जगमगाहट और ढाक की गूंज ने पूरे शहर को उत्सवमय बना दिया। वहीं दूसरी ओर व्यवस्था एवं पूजा मेला आकर्षण के लिए रेलवे रिजर्वेशन क्लब एवं उदय संघ उत्तर पाली सार्वजनिक दुर्गा पूजा कमेटी को सम्मानित की गई उन्हें आस्था के रूप में पूजा चना एवं बरमसिया पूजा के लिए मशहूर 16 आना दुर्गा पूजा कमेटी को भी सम्मानित की गई
विजयदशमी पर परंपरा अनुसार पालकी यात्रा, कलश विसर्जन और सिंदूर खेल का आयोजन हुआ। ढाक की थाप और शंखनाद के बीच जब माँ की प्रतिमाओं का कलर्स का विसर्जन हुआ तो वातावरण खुशी और भावुकता दोनों से भर गया। भारतीय संस्कृत में पश्चिम बंगाल में मां दुर्गा पूजा का पूजा अर्चना बेटी के रूप में करती है उनके आगमन को लेकर जहां खुशियां मनाई जाती है वहीं उनकी विदाई समारोह भी मानसिक तौर पर सभी को भावुक बनाकर जाती है