रानीगंज में चिकित्सा व्यवस्था पर उठे सवाल: ऑर्थोपेडिक चिकित्सकों पर लगे गंभीर आरोप, मरीजों में बढ़ा अविश्वास
रानीगंज कोईलांचल-शिल्पांचल क्षेत्र में जहां एक ओर रानीगंज चिकित्सा क्षेत्र में अपनी पहचान बना चुका है, वहीं दूसरी ओर यहां की चिकित्सा व्यवस्था पर लगातार भ्रष्टाचार और लापरवाही के आरोप भी लगते रहे हैं। हालांकि, चिकित्सकों के खिलाफ अब तक कोई ठोस कानूनी कार्यवाही नहीं हो सकी है या फिर शिकायतें आपसी समझौते के जरिए दबा दी गईं।
हाल ही में रानीगंज के प्रतिष्ठित ऑर्थोपेडिक चिकित्सा केंद्र के दो हड्डी रोग विशेषज्ञों पर गंभीर आरोप सामने आए हैं। शिशुबागान क्षेत्र के एक प्रतिष्ठित व्यवसायी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उक्त डॉक्टर ने उनसे मोटी रकम वसूलने के बावजूद लापरवाहीपूर्वक इलाज किया, जिससे वे लगभग अपंग हो गए थे। बाद में उन्होंने दूसरे शहर में इलाज करवा कर अपनी जान बचाई।
एक अन्य मरीज ने आरोप लगाया कि पैर में हल्के दर्द की शिकायत लेकर जब वे उक्त चिकित्सकों के पास पहुंचे, तो उन्हें करीब 4 लाख रुपये के इलाज का बजट थमा दिया गया। घबराकर वे कोयंबटूर के एक बड़े अस्पताल में गए, जहां डॉक्टरों ने स्पष्ट कहा कि रानीगंज के डॉक्टर ने अनावश्यक इलाज की सिफारिश की थी और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।
इतना ही नहीं, एक युवक जब अपने कंधे के दर्द की जांच कराने पहुंचा, तो उसके दोनों कंधों का एक्स-रे कर दिया गया। जब युवक ने बताया कि केवल दाहिने कंधे में दर्द है, तो डॉक्टर ने बाएं हाथ की रिपोर्ट दिखाकर उसे गंभीर बताना शुरू कर दिया। युवक ने इलाज से मना करते हुए प्रिस्क्रिप्शन फाड़कर क्लिनिक से बाहर निकल आया।
इस पूरे मामले पर आईएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) के राज्य स्तरीय वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. एस.के. बसु ने स्पष्ट कहा कि, “गलत और भ्रष्ट तरीकों से इलाज करने वाले चिकित्सकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। आईएमए कभी भी ऐसी प्रथाओं का समर्थन नहीं करता।”
पिछले वर्षों में भी चिकित्सा लापरवाही और अनियमितताओं को लेकर रानीगंज में कई बार आंदोलन हो चुके हैं, लेकिन हाल ही में उजागर हुए मामलों से क्षेत्र की चिकित्सा व्यवस्था पर पुनः सवाल उठ खड़े हुए हैं। मरीजों के विश्वास पर गहरी चोट पहुंची है और स्वास्थ्य विभाग की साख दांव पर लग गई है।