

हमारा रानीगंज खतरे में है – अभी जागो, वरना सब कुछ गँवा दोगे!
✍️ विमल देव गुप्ता |
प्रश्न यह उठता है—मेंढक को किसने मारा? पानी ने, सौ डिग्री तापमान ने या उसकी अनुकूलन की आदत ने? सच्चाई यह है कि तीनों ने मिलकर उसे समाप्त कर दिया। यही स्थिति आज हमारे प्यारे रानीगंज शहर की भी है, जो पिछले एक दशक से धीरे-धीरे अपनी पहचान, अपनी चमक और अपनी आत्मा खोता जा रहा है। यह कोई अचानक आई आपदा नहीं, बल्कि एक धीमा ज़हर है जो हमारे शहर के भीतर फैल चुका है।
रानीगंज सिर्फ एक शहर नहीं, यह हमारी पहचान, गौरव, इतिहास और भविष्य है। लेकिन इसे योजनाबद्ध ढंग से कमजोर किया जा रहा है। हम मौन रहे, सहनशील बने रहे और अब स्थिति विस्फोटक बन चुकी है। रानीगंज नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष एवं सिटीजन फोरम के अध्यक्ष गौतम घटक ने बताया कि हमने बार-बार नगर पालिका को निगम में परिवर्तित न किए जाने का विरोध किया था और आंदोलन भी चलाया था, पर हमारी बात नहीं सुनी गई। पहले नगर निगम को भंग कर दिया गया, हम चुप रहे। फिर भवन योजनाओं की मंज़ूरी रोक दी गई, हम फिर भी शांत रहे। अब त्रिवेणी देवी भालोतिया कॉलेज से मानक डिग्री कोर्स हटाए जा रहे हैं और हम अब भी मौन हैं। यह सब कोई संयोग नहीं, बल्कि हमारे शहर की पहचान मिटाने की सुनियोजित कोशिश है। आज सीधे तौर पर रानीगंज को भू धसान प्रभावित क्षेत्र घोषित कर दी गई है किसी भी प्रकार के निर्माण पर प्रतिबंध है उसके लिए बहुत अधिक जटिलता शामिल कर ली गई है।
रानीगंज चैंबर ऑफ कॉमर्स के मुख्य सलाहकार आर.पी. खेतान का कहना है कि यह कोई राजनीतिक या दलीय लड़ाई नहीं, बल्कि हमारे शहर के अस्तित्व की लड़ाई है। ईश्वर ने हमें सोचने की शक्ति दी है। अगर हम अब भी नहीं जागे तो आने वाली पीढ़ियाँ हमें माफ नहीं करेंगी। रानीगंज हमारा घर है, हमारा गौरव है और इसे बचाना हर नागरिक की जिम्मेदारी है।
वरिष्ठ भाजपा नेता जितेंद्र तिवारी ने मंच से स्वीकार किया कि रानीगंज को नगर निगम में शामिल करने का समर्थन करना एक भूल थी। उन्होंने कहा, “हमने सोचा था कि राज्य सरकार सहयोग करेगी, लेकिन आज स्थिति बिल्कुल विपरीत है। अब हमें एकजुट होकर अपने शहर के लिए सोचना होगा।”
नगर पालिका के पूर्व पार्षद एस. ने कहा कि कल्पना कीजिए, अगर किसी मेंढक को उबलते पानी में डाल दिया जाए तो वह कूदकर निकल जाएगा, लेकिन अगर ठंडे पानी में डालकर धीरे-धीरे गर्म किया जाए तो वह अनुकूलन के चक्कर में मर जाएगा। यही स्थिति आज रानीगंज की हो रही है। लेकिन अभी भी समय है। हमें अपने शहर को उस उबलते पानी से बाहर निकालना होगा।
हम मेंढक नहीं, इंसान हैं। अपने शहर के लिए हमारा प्यार हमें कमज़ोर नहीं, बल्कि मज़बूत बनाता है। आइए, मिलकर रानीगंज को बचाएँ, क्योंकि यह हमारा है और हम इसके बिना अधूरे हैं।