
“बाबा का श्रृंगार सुहाना लगता है,
भक्तों का दिल दीवाना लगता है…”
बिमल देव गुप्ता
रानीगंज। सावन मास की मधुर वेला में श्री सीताराम जी मंदिर प्रांगण आज शिवभक्ति की लहरों से गूंज उठा, जब पूरे भक्तगणों ने सामूहिक रूप से पार्थिव शिव पूजन एवं रुद्राभिषेक में भाग लिया। शास्त्री लक्ष्मण मंडे के सान्निध्य में सम्पन्न इस पूजन का प्रत्येक क्षण आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत रहा, वहीं शिवम पांडे के भजनों ने हर दिल को भावविभोर कर दिया।

“जो भी दर पर आते हैं, उनकी मन्नत पूरी होती है,
भोले के दर से खाली झोली कभी नहीं जाती…”
इस भजन की गूंज के बीच जब रुद्राभिषेक प्रारंभ हुआ, तो एक अद्भुत दृश्य उत्पन्न हुआ—
“धारा गिरी जब जल की शिवलिंग पर,
भक्ति बनकर छलकी आँखों के जल में…”
“बेलपत्र, धतूरा, और गंगाजल चढ़ते गए,
हर हर महादेव के स्वर आकाश गूंजाते गए…”
31 जोड़े भक्तों ने पूरे श्रद्धा भाव से पार्थिव शिवलिंग बनाकर विधिपूर्वक पूजन किया। मंदिर परिसर में मंत्रोच्चार, घंटियों की ध्वनि और भजनों की सुमधुर स्वर लहरियों ने एक दिव्य वातावरण की रचना की।

पंडित लक्ष्मण शास्त्री ने इस अवसर पर बताया कि पार्थिव शिव पूजन की परंपरा अति प्राचीन है। स्वयं भगवान श्रीराम ने लंका पर विजय प्राप्त करने से पूर्व समुद्र तट पर पार्थिव शिवलिंग की स्थापना कर उसका पूजन किया था।
“राम ने रामेश्वर में रेत से शिव बनाए थे,
विजय की राह में भोले का आशीर्वाद पाए थे…”
उन्होंने कहा कि पार्थिव शिव पूजन से 12 ज्योतिर्लिंगों के पुण्य के बराबर फल की प्राप्ति होती है, और रुद्राभिषेक से भगवान शिव अपने भक्तों पर शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
इस दिव्य आयोजन को सफल बनाने में मंदिर समिति के अध्यक्ष विमल बजोरिया, सचिव प्रदीप सरावगी, ललित झुनझुनवाला सहित अन्य सदस्यों ने विशेष योगदान दिया। पूजन का विशेष संयोजन मंदिर के शास्त्री विजय पांडे द्वारा किया गया।
“श्रद्धा, संगीत और शिव की भक्ति का अद्भुत संगम,
रानीगंज ने आज धर्म की एक नई अनुभूति को जिया…”
कार्यक्रम में सनातन धर्म की विविध धाराओं, परंपराओं और भावनाओं का अद्वितीय समागम हुआ, जिसने रानीगंज की धरती को एक बार फिर पुण्य और आस्था से अभिसिंचित कर दिया।