
रानीगंज, मारवाड़ी युवा सम्मेलन, रानीगंज के इतिहास में पहली बार हुए चुनाव में लोकतंत्र की एक शानदार मिसाल देखने को मिली, जिसमें मारवाड़ी युवा संघ ने भारी बहुमत से ऐतिहासिक जीत दर्ज की। कुल 520 सदस्यों वाली संस्था में 359 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग कर लोकतांत्रिक चेतना का परिचय दिया। मतदान शांतिपूर्ण रहा और राष्ट्रीय चुनाव की तर्ज पर आयोजित इस प्रक्रिया ने सामाजिक संगठनों में नए युग की शुरुआत का संकेत दिया।
इस चुनाव में दो प्रमुख गुट — समाज बंधु और मारवाड़ी युवा संघ — आमने-सामने थे। दोनों ही पक्षों ने पारदर्शिता, जवाबदेही, और विकास के मुद्दों पर अपनी-अपनी नीतियाँ प्रस्तुत कीं, लेकिन अंततः समाज ने मारवाड़ी युवा संघ के पक्ष में विश्वास जताया।

चुनाव परिणामों में मारवाड़ी युवा संघ ने लाइफ/जनरल श्रेणी की कुल 7 में से 7 सीटें तथा डोनर श्रेणी की 1 सीट पर कब्जा जमाया।
लाइफ और जनरल श्रेणी में दीपक कुमार कालोटिया को सर्वाधिक 185 मत मिले। उनके साथ दीपक जालान (164 वोट), रितेश खेतान (163 वोट), संजय कुमार झुनझुनवाला (161 वोट), राजेश खेतान (159 वोट), दिनेश कुमार मोदी (155 वोट), और शशिकांत सतनालिका (117 वोट) ने शानदार प्रदर्शन कर विजय प्राप्त की।
वहीं डोनर श्रेणी में विशाल चौधरी को 74 मतों के साथ विजय हासिल हुई।

अन्य प्रत्याशी, जैसे मनोज कुमार सिंघानिया (124), साजन कुमार बजोरिया (122), ओमप्रकाश बजोरिया (115), अनिल लुहारूवाला (97), अनिल कुमार तोदानी (66), बिमल अग्रवाल (61) और बिमल कुमार लोहिया (52) मतों के साथ पीछे रह गए।
अरुण कुमार मारोडिया को डोनर श्रेणी में 60 मत मिले, जो उन्हें विजयी बनाने के लिए पर्याप्त नहीं रहे।
चुनाव परिणाम की घोषणा शाम 6:35 बजे हुई, जिसके बाद समर्थकों में हर्ष का माहौल देखने को मिला। एक ओर जहां विजयी उम्मीदवारों ने इसे समाज के प्रति जिम्मेदारी के रूप में लिया, वहीं पराजित पक्ष ने भी लोकतांत्रिक प्रक्रिया को सम्मानपूर्वक स्वीकार किया।
मारवाड़ी युवा संघ की इस जीत को सामाजिक जागरूकता और युवाओं की सक्रियता का प्रमाण माना जा रहा है। संघ की ओर से पारदर्शिता, समय पर चुनाव, नियमित लेखा-जोखा और सांस्कृतिक मूल्यों के संवर्धन का जो संकल्प लिया गया था, वह जनमत से अनुमोदित हुआ। इस चुनाव से यह भी सिद्ध हुआ कि आज का समाज न केवल परंपराओं का संरक्षक है, बल्कि वह उत्तरदायित्वपूर्ण और प्रगतिशील नेतृत्व की ओर स्पष्ट रुझान रखता है।
संपूर्ण चुनावी प्रक्रिया में कहीं कोई विवाद या अप्रिय स्थिति नहीं बनी, जिससे यह उदाहरण सामने आया कि सामाजिक संस्थाओं में भी राष्ट्रीय स्तर की परिपक्वता से चुनाव संभव है। रानीगंज ने इस आयोजन से यह सिद्ध कर दिया कि लोकतंत्र सिर्फ सरकारों तक सीमित नहीं, बल्कि समाज के हर अंग में उसकी महत्ता और आवश्यकता है।