
नारायणकुड़ी में बुनियादी सुविधाओं की उपेक्षा से ग्रामीणों में रोष, ईसीएल पर लगाए केवल दिखावटी योजना चलाने के आरोप
रानीगंज.
कुनुस्तोड़िया क्षेत्र अंतर्गत नारायणकुड़ी गांव में एक ओर जहां ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (ईसीएल) द्वारा सामुदायिक भवन के निर्माण का शिलान्यास सोमवार को धूमधाम से किया गया, वहीं दूसरी ओर स्थानीय ग्रामीणों ने बुनियादी सुविधाओं की घोर उपेक्षा को लेकर नाराजगी जताई और कार्यक्रम स्थल पर ही अपनी व्यथा प्रकट की।
ग्रामीणों का कहना है कि जब से नारायणकुड़ी ओपन कास्ट प्रोजेक्ट प्रारंभ हुआ है, तब से इस क्षेत्र में सड़कों की हालत बदतर हो गई है। पीने के पानी की किल्लत, धूल-धुआं, और लगातार होने वाले ब्लास्टिंग से मकानों में दरारें आ गई हैं। यहां तक कि गंभीर बीमारी की स्थिति में मरीजों को समय पर अस्पताल पहुंचाना भी मुश्किल हो जाता है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि ईसीएल केवल दिखावटी योजनाएं चलाकर प्रचार करती है, जबकि जमीनी स्तर की समस्याएं अनदेखी रह जाती हैं।
इन्हीं विरोधाभासों के बीच सोमवार को ईसीएल के सीएसआर फंड के तहत बनने वाले सामुदायिक भवन का शिलान्यास समारोह आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ ईसीएल कुनुस्तोड़िया क्षेत्र के महाप्रबंधक सुभाषचंद्र मित्रा ने नारियल फोड़कर एवं शिलापट्ट का अनावरण कर किया। इस अवसर पर अमृतनगर ग्रुप ऑफ माइंस के अभिकर्ता दीपक खेवाले, सीनियर सिक्योरिटी ऑफिसर अशोक यादव, एगारा ग्राम पंचायत की प्रधान ममता मंडल, रानीगंज बीडीओ के प्रतिनिधि सुब्रतो सेन सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे।
महाप्रबंधक सुभाषचंद्र मित्रा ने अपने संबोधन में कहा कि ईसीएल का प्रयास है कि उत्पादन क्षेत्र के साथ-साथ वहां बसे गांवों का भी विकास हो। उन्होंने बताया कि यह सामुदायिक भवन करीब 31 लाख रुपये की लागत से बनाया जाएगा और इससे ग्रामीणों को सामाजिक एवं सांस्कृतिक आयोजनों के लिए स्थान उपलब्ध होगा। उन्होंने ग्रामीणों से कोयला उत्पादन में सहयोग देने की भी अपील की।
प्रधान ममता मंडल एवं बीडीओ प्रतिनिधि सुब्रतो सेन ने ईसीएल की इस पहल की सराहना करते हुए इसे गांव के लिए लाभकारी बताया। कार्यक्रम को सफल बनाने में अभिकर्ता दीपक खेवाले की प्रमुख भूमिका रही।
हालांकि, ग्रामीणों ने मंच से दूर खड़े रहकर यह भी कहा कि जब तक बुनियादी जरूरतें जैसे सड़क, पानी, स्वास्थ्य, और सुरक्षा पूरी नहीं होतीं, तब तक ऐसे शिलान्यास केवल औपचारिकताएं रह जाती हैं। ग्रामीणों की स्पष्ट मांग है कि ईसीएल को केवल योजनाओं की घोषणा करने के बजाय उनकी निष्पक्ष और स्थायी क्रियान्वयन की दिशा में काम करना चाहिए।