
रानीगंज के युवा—विशेषकर छात्र—निराश नहीं हुए हैं।
रानीगंज। एक समय में पश्चिम बंगाल के औद्योगिक मानचित्र पर स्वर्णाक्षरों में अंकित रहा रानीगंज, आज अपने व्यावसायिक स्वरूप को लेकर एक गहरे संकट से गुजर रहा है। यह वही रानीगंज है, जहां कभी व्यापार, कोयला और उद्योग के क्षेत्र में स्थानीय व्यावसायिक पुत्रों ने ऐसा मुकाम हासिल किया था कि यह अंचल गौरव का प्रतीक बन गया था। यहां के कारोबारियों ने हजारों लोगों को न केवल आजीविका दी, बल्कि इस क्षेत्र को सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी समृद्ध किया। लेकिन आज… वही रानीगंज एक ठहरी हुई पीड़ा को ढो रहा है। जहां कभी कारोबार की चहल-पहल रहती थी, वहां अब सन्नाटा है। रोजगार के अवसर सिकुड़ते जा रहे हैं, और उद्योग जगत का वैभव धीरे-धीरे धूमिल होता जा रहा है।
इस बदलते परिदृश्य के बीच, रानीगंज के युवा—विशेषकर छात्र—निराश नहीं हुए हैं। इस क्षेत्र के व्यावसायिक परिवारों के बच्चे अब शिक्षा के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बना रहे हैं। इसी उजास की एक झलक देखने को मिली श्री श्याम मंदिर सभागार में आयोजित मेधावी छात्र-छात्रा सम्मान समारोह में, जो मारवाड़ी मित्र परिषद एवं श्री श्याम बाल मंडल चेरिटेबल ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में संपन्न हुआ।
इस भावपूर्ण समारोह में 40 से अधिक छात्र-छात्राओं को कक्षा 10वीं, 12वीं और उच्च शिक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए मंच पर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मित्र अनूप सराफ ने की, जिन्होंने कहा कि यह पहल न केवल शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए है, बल्कि छात्रों के मनोबल को बढ़ाने और पारिवारिक मूल्यों को मजबूती देने का प्रयास भी है।
मुख्य अतिथि श्री विष्णु सराफ ,अध्यक्ष, श्री श्याम बाल मंडल चेरिटेबल ट्रस्ट थे । श्याम बल मंडल के महासचिव विनोद बंसल ने अपने वक्तव्य में कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में उनका ट्रस्ट हर संभव सहयोग के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, “आज जब परिवार के प्रति निष्ठा में कमी आ रही है, हमें भारतीय संस्कृति की मूल भावना को पुनः जीवित करने की आवश्यकता है। शिक्षा का अर्थ केवल डिग्री नहीं, बल्कि संस्कार भी है।”
कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित मंडल के वरिष्ठ सदस्य पवन केजरीवाल , जुगल गुप्ता, विशेष अतिथि रोहित खेतान ने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि रानीगंज की नई पीढ़ी में अद्भुत सामर्थ्य है और यदि उन्हें उचित मंच और अवसर मिले, तो वे न केवल अपने शहर, बल्कि देश का नाम रोशन करेंगे।
महेश कालोटिया ने मंच संचालन करते हुए राधा-कृष्ण की प्रेरक कथाओं के माध्यम से सामाजिक एकता और सांस्कृतिक मूल्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि “जब समाज एक साथ खड़ा होता है, तब परिवर्तन संभव होता है।”
हालांकि यह समारोह छात्रों की उपलब्धियों का उत्सव था, परंतु एक गहरी पीड़ा भी मन में रह-रह कर उठती रही। दुख इस बात का है कि कभी जो रानीगंज औद्योगिक पहचान का प्रतीक था, आज उसके व्यावसायिक पुत्र ही इस शहर से पलायन कर रहे हैं। रोजगार की कमी, व्यापार में ठहराव और अवसरों का अभाव, इन सबने यहां की आर्थिक धड़कनों को धीमा कर दिया है। हर वर्ष सैकड़ों छात्र रानीगंज से बाहर निकलकर अन्य शहरों में रोजगार और भविष्य की तलाश में जाते हैं। यह एक ऐसा यथार्थ है, जो हर अभिभावक, हर व्यापारी और हर समाजसेवी को सोचने पर मजबूर करता है।
मित्र प्रदीप झुनझुनवाला (सचिव), मित्र अरुण भारतीय, मित्र अमिताभ सराफ, मित्र सावर सिंघानिया एवं अन्य सदस्यों ने विशेष भूमिका निभाई।
यह समारोह सिर्फ एक आयोजन नहीं था, यह उस आशा की किरण था, जो आज के रानीगंज को फिर से उज्ज्वल भविष्य की ओर ले जाने का संकल्प बन सकता है—जहां व्यापार और शिक्षा दोनों मिलकर एक समृद्ध समाज की नींव रख सकें।