
ई सी एल कनस्टोरिया एरिया घाटे, भ्रष्टाचार और उपेक्षित खदानों की मार
बिमल देव गुप्ता
रानीगंज। कभी उत्पादन और सुरक्षा के लिए कई बार पुरस्कृत हो चुका कनु स्टोरिया एरिया आज गंभीर संकट के दौर से गुजर रहा है। 511.24 करोड़ रुपये के घाटे में चल रहे इस क्षेत्र को लेकर न केवल आर्थिक चिंताएं गहराई हैं, बल्कि भ्रष्टाचार और प्रबंधन की विफलता के आरोप भी तेज हो गए हैं।

इस एरिया के अंतर्गत आने वाली महावीर, नॉर्थ- सियारसोल, बांसवाड़ा, परासिया ओसीपी (ओपन कास्ट प्रोजेक्ट) खदानों से पहले बड़े पैमाने पर कोयला उत्पादन होता था। लेकिन अब इन खदानों का उत्पादन घट चुका है, जिसका मुख्य कारण जमीन की अनुपलब्धता और भूमि मालिकों के साथ समझौते में विफलता बताया जा रहा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस क्षेत्र में पूर्व में करोड़ों रुपये के कोयला घोटाले भी सामने आ चुके हैं। आरोप है कि प्रबंधन की मिलीभगत से बड़े पैमाने पर कोयले की हेराफेरी की गई, जिस पर सीबीआई जांच के तहत कई महाप्रबंधकों पर कार्रवाई हो चुकी है — कुछ जेल में हैं और कुछ पर अब भी मुकदमे चल रहे हैं।
पूर्व सांसद बांसगोपाल चौधरी ने कहा, “भ्रष्टाचार इस क्षेत्र के पतन का बड़ा कारण है। प्रबंधन की नीतियों ने उत्पादन को भारी नुकसान पहुंचाया है। भूमिगत खदानों में श्रमिकों को जरूरी संसाधन नहीं मिलते और जो संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं, उनमें गुणवत्ता की भारी कमी है।”
विशेषज्ञों का कहना है कि कनुस्टोरिया एरिया के भूमिगत खदानों में अब भी अपार कोयला भंडार मौजूद है। एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “यह कहना गलत है कि भूमिगत खदानों में उत्पादन असंभव है। असल में, घाटे का हवाला देकर जानबूझकर इन खदानों को नजरअंदाज किया जा रहा है, ताकि निजी क्षेत्र को इसमें प्रवेश का अवसर मिले।” बांसड़ा कोलियरी क पूर्व karmi एवं रानीगंज नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष गौतम घटक ने कहा कि श्रमिक संगठनों की ओर से लगातार निजीकरण के खिलाफ आंदोलन की जा रही है लेकिन आंदोलन को दवा दी जाती है यही वजह है कि आज उन्हें खानों में उन्हें कर्मियों से बधुआ मजदूर की तरह काम करवाई जाती है निजी मालिकों के तौर तरीके पर और श्रमिकों का शोषण होता है।
पिछले वर्ष क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से एस सी मित्रा को एरिया के महाप्रबंधक के रूप में नियुक्त किया गया था, लेकिन सूत्रों के अनुसार वे घाटे की स्थिति को संभालने में कोई विशेष भूमिका नहीं निभा सके। “वे मात्र अनुशासन के नाम पर दफ्तर तक ही सीमित रहे। एरिया के क्षेत्र को बहूखबी से सजाए लेकिन चरों ओर सन्नाटा का माहौल है।
श्री मित्रा अवकाश पर चले जाएंगे और किसी भी जोखिम से बचना चाहते हैं,” एक कर्मचारी ने बताया।अब सवाल यह है कि क्या कनस्टोरिया एरिया को फिर से उत्पादन के योग्य बनाया जा सकेगा या यह क्षेत्र धीरे-धीरे निजीकरण और बंदी की ओर बढ़ेगा?